सोमवार, 8 जून 2009

कविता: दूध पियो

दूध पियो
दूध पियो दूध पियो।
गरमा - गरम दूध पियो
मीठा - मीठा दूध पियो।
लम्बी -लम्बी उमर जियो
दूध पियो मोटा हो जाओ।
तोंद फुलाओ तोंद पचकाओ॥
आओ जमके दूध चढाओ
पेट भिडाओ पेट लड़ाओ॥
दूध पियो और मस्त हो जाओ।
तन की बीमारी दूर भगाओ
मक्खन खाके पेट फुलाओ।
जिससे चाहे पंजा लड़ाओ॥
दूध पियो दूध पियो
गरमा - गरम दूध पियो॥
कविता: ज्ञान कुमार, कक्षा , अपना घर

2 टिप्‍पणियां:

admin ने कहा…

दूध पियो, बाल सजग पढो।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

abdul kalam ने कहा…

bal sajag padhkar lagta hai main apne bachpan mein pahunch gaya bahut hi sundar prayas hai