गुरुवार, 25 अप्रैल 2024

कविता:"खेल "

"खेल " 
खेल के मैदान में ,
हार -जीत का फासला बना रहता है | 
जो मंजिल बुना  है तूने ,
उस कोशिश में लगा रहना पड़ता है | 
आत्मा और अपने ये धीरज रखो ,
संघर्ष का रास्ता बहुत लम्बी होती है| 
उस पर कदम से  कदम मिलकर चलना उचित है ,
तूने तो अब बुनियाद रचना शुरू किया है | 
अब तो दूर सागर पार जाओगे ,
खेल के मैदान में | 
हर -जीत का फासला बना रहता है,
कवि :नीरू कुमार , कक्षा :8th 
अपना घर 

बुधवार, 24 अप्रैल 2024

कविता :"नींद "

 "नींद "
सोया था मैं न जाने कहाँ ,
सपना खोया था मेरा जंहा | 
सबकुछ छूटता जा रहा है,
मेरा लक्ष्य मुझसे रूठता जा रहा है | 
मै ढूंढ रहा हूँ अपने आप को ,
वही फूर्ति और ऐहसास को | 
मै पूरा जोर लगा दूंगा ,
अपने सपने को अपना बना लूंगा | 
सोया था मै न जाने कंहा ,
सपना खोया था मेरा जंहा | 
कवि :कुलदीप कुमार , कक्षा :12th 
अपना घर 

रविवार, 21 अप्रैल 2024

कविता :"अकेला "

"अकेला "
शुक्र है की मैं अकेला मुस्कुराता हूँ ,
हर वक्त हर समय ख्यालो में खोया रहता हूँ | 
नहीं है कोई खौफ किसी का ,
अकेला हूँ अकेला रह लेता हूँ | 
जीने को नहीं चाहिए कुछ इस जंहा से ,
सोच की बस एक राह में रहता हूँ | 
अकेला हूँ अकेला रह लेता हूँ ,
खुद से कोई खता नहीं मुझे | 
दूसरों से कोई गिला नहीं मुझे ,
अकेला हूँ अकेला रह लेता हूँ | 
कवि :साहिल कुमार , कक्षा :8th 
अपना घर 

शनिवार, 20 अप्रैल 2024

कविता:"छुट्टी "

"छुट्टी "
हाय दिन भर सोना हो गया ,
यह छुट्टी नहीं अब रोना हो गया | 
सुबह शाम बस खुद में खो गया ,
न जाने किसने जगाया और सो गया | 
मेरा मन हर सपने में मचलता गया ,
न  जाने कब सूरज भी ढलता गया | 
जो सोया फिर सबकुछ खोया ,
पाने के लालच में मन को ढोया | 
हाय दिन भर सोना हो गया ,
यह छुट्टी नहीं अब रोना हो गया | 
                                                                                                                        कवि :कुलदीप कुमार ,कक्षा :12th
                                                                                                                                                          अपना घर  

शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024

कविता:" आंबेडकर जयंती "

" आंबेडकर जयंती "
आज बात कर रहे है उनका ,
जिसने भारत देश को स्वतंत्र बनाया | 
गरीबों के हक़ के लिए आवाज उठाया ,
और उन लोगो को सही सम्मान दिलाया | 
दलितों के लिए नवदीप जलाया ,
समाज में नया परिवर्तन लाया | 
और नीच जाती के लोगो को उच्च जाती तक पहुँचाया ,
लोकतंत्र देश के लिए बड़ा योगदान निभाया | 
                                                                                                                         कवि :नवलेश कुमार ,कक्षा :10th
                                                                                                                                                          अपना घर  

गुरुवार, 18 अप्रैल 2024

कविता :"आंबेडकर जयंती "

"आंबेडकर जयंती "
जिस जगह से मैं  गुजरूं ,
वह जगह अपवित्र हो जाता | 
जिस कुंआ का पानी मैं पिया ,
वह कुंआ का पानी अपवित्र हो जाता | 
हर कदम और हर जगह पर ,
छुवा -छूत से लड़ना पड़ता | 
इस समाज  में हर कठिनाइयों  को सहना पड़ता ,
जब एक ने आवाज इस पर उठाई | 
हजारो की संख्या के साथ लोग है आए ,
हर एक चीजों से हम सब को आजाद है कराया | 
छुवा -छूत और जात -पात से ,
इस समाज से छुटकारा है दिलाया | 
जिस जगह से मैं गुजारूं ,
उस जगह पर चैन से सो सकूं | 
                                                                                                                       कवि :संजय कुमार , कक्षा:12th
                                                                                                                                                      अपना घर 
  
                                                                                    






 

बुधवार, 17 अप्रैल 2024

कविता : "मुसाफ़िर "

 "मुसाफ़िर "
हम मिसफ़िर बनकर | 
निकल पड़े अनोखी राह की तलाश में,
न तपती धूप की परवाह | 
न आंधी और तूफान की ,
और न वह डरावनी रातों की | 
 हम सब निकल पड़े ,
ढलते सूरज की ओर | 
चमकते लालिमा को देखकर ,
टिमटिमाते तारो को देखकर| 
बहती शीतल हवाओं में ,
 हम सब निकल पड़े| 
                                                                                                                     कवि : अमित कुमार , कक्षा :10th 
                                                                                                                                                      अपना घर 



 


रविवार, 10 सितंबर 2023

कविता :"हिंदी दिवस "

"हिंदी दिवस "
 ये शाम है बहुत सुहानी | 
जहां पर हो रही है कविताएं की बारिश 
नन्हे -मुन्हे की अपनी कहानी | 
बड़ों ने इस पर है जान डाली 
हिंदी के अछर है याद दिलाता | 
इसकी महत्व की गीत  सुनाते 
इस महफ़िल में सब गुन गुनाते | 
हिंदी की मिलकर मान बढ़ाते 
ये शाम है बहुत सुहानी | 
जहाँ पर हो रही है कविताओ की बारिश 
कवि :कुल्दीप कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 

रविवार, 3 सितंबर 2023

कविता:"समय "

"समय "
 समय के साथ सब बदल रहा है | 
पहले हर वक्त शोर मचाते थे 
अब शांत रहने में मज़ा आ  रहा है | 
समय के साथ सब बदल रहा है 
पहले  सब के साथ मिल कर रहते थे  | 
अब अकेले रहने में मज़ा आ रहा है  
समय के साथ सब बदल रहा है | 
 जो बातें सब के साथ शेयर किया करते थे 
अब वह बातें छिपाने में मज़ा आ रहा है |  
समय के साथ सब बदल रहा है 
कवि :कामता कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 

बुधवार, 16 अगस्त 2023

कविता : " खुद की दुनियाँ "

 "  खुद की दुनियाँ "
काश खुद का एक दुनिया होता |  
दिन रात सपनों में होता 
टिमटिमाते हुए तारों  देखता | 
गोल से  चाँद को ताकत 
अपनी भी एक दुनिया होता | 
उसमे मैं राजा होता 
काश खुद का एक दुनियाँ होता | 
परिंदों की तरह भटकता ना फिरता 
 अपनी जिंदगी मजे से जीता | 
काश खुद का  दुनिया होता 
कवि :अजय कुमार ,कक्षा:9th
 अपना घर  

सोमवार, 14 अगस्त 2023

कविता :"छवि "

"छवि "
 अपनी छवि को देख देख | 
सही गलत समझ नहीं पा रहा हूँ 
अब छोटी छोटी बातों में भी | 
उदास रहने लगा हूँ 
कभी कभी सोचता हूँ | 
कि अपने भूत भूल जाऊँ 
पर जितना भूलना चाहता हूँ |
 उतना ही याद करने लगा हूँ 
भविष्य में क्या करना है | 
ये भी नहीं सोच  रहा हूँ 
जब भी उनकी तस्वीर देखता हूँ | 
तब तब रोने लगा हूँ 
कवि :महेश कुमार ,कक्षा :9th 
अपना घर