सोमवार, 1 दिसंबर 2025

कविता: "सितारे"

"सितारे"
 गिनने की कोशिश की तारो को,
 सौ बार नहीं हजार बार ,
पाने की कोशिश की इन सितारों को ,
हस्ते और गाते चमकते है ,
रात अँधेरे में। 
खुसियों से बंधे रहते है ख्वाब में ,
कितने सारे है ये आसमान में,
रोशनी से अपनी जगमगा देते है ,
काली रात को। 
 मिटा देते है अपनी रौशनी से ,
राते  की काली हस्तियां को ,
कभी सुनो तो क्या कहते है ,
शायद खुश रहने का देते है संदेश। 
कवि: साहिल कुमार, कक्षा: 9th,
 अपना घर।