शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025

कविता : " परीक्षा "

" परीक्षा "
चल रहा परिक्षा का दिन 
काट नहीं रहा सोए बिन 
शरीर में थकान और आँखो , 
में नींद। 
कैसे करेंगे परिक्षा , पढ़े बिन 
सामग्री और उत्तर को देख
आ जाता नींद।
फिर पढ़ने से हट जाता है दिल
मन करता हैं हम भी इंस्टा पर
बनाए रील।
ये सात - आठ दिन में ,
नींद - नींद ही होगा
परिक्षा खत्म होने के बाद ,
रट नींद बिन होगा।

कविः पंकज कुमार , कक्षा: 9th 
 अपना घर 

गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025

कविता : " फरिस्ते "

" फरिस्ते "
फरिस्ते भी किसी को याद करेंगे ,
आकर गुन - गुनाकर चलते बनेगे | 
घुमता रहुँगा उस जगह मैं , 
जहाँ मुश्किलों के बीच रह गए 
इंतजार हैं वो सुनहरे दिन का 
फरिस्ते भी  आयेंगे कल क्या ?
क्या पता वो आयेंगे भी की नहीं, 
लेकिन मेरा वहां  जाना तो है लिखा | 
उसे पाने के अलावा कुछ भी नहीं दिखा | 
फरिस्ते भी मुझे क्या याद करेंगे 
उसकी यादे हम भूल गए क्या ?
नहीं यादे कभी भुलाई नहीं जाती 
कविः अजय कुमार , कक्षा: 10th 
अपना घर 
  

कविता : " मेरा गाँव "

  " मेरा गाँव " 
आज भी वे दिन याद आते हैं , 
जब हम बचपन में तलाब में नहाते थे | 
आज भी वे गलियाँ  याद आती है ,
जहाँ हम क्रिकेट खेला करते थे | 
आज भी वे दोस्त  याद आते है ,
जिसके साथ हम समय बिताया करते थे,
बाते किया  करते थे , घूमा करते थे | 
अपने दोस्तों के लिए हम घर में ,
डांट भी खाते थे ,
फिर भी मिलने जाते थे |
आज भी वे दिन याद है ,
जिसके साथ हम वक्त बिताते थे |


कविः संतोष  कुमार , कक्षा: 9th 
अपना घर  

बुधवार, 26 फ़रवरी 2025

Poem: "flowers "

" flowers "
flowers are good enough
they have pleasant smell  
they attract the people with 
beautiful cells
It blooms it glows 
and make the people day 
dream flow.
the plants of flowers 
make the beautiful scenes
It's for the happiness 
sadness doesn't mean
It flows and it glow 
and make the people 
daydream flow
flowers have pleasant smell
that I have didn't scaled
I kept I smelled.
Poet: Nand Kumar, class 8th 
Apna Ghar 

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2025

कविता : " पल "

" पल " 
क्या बया करू अपने  बात 
मन में चल रहे हलचल ,
                                              याद कर रहा हूँ अपने अतीत को                                         
हर पल | 
मैं ना करुगा अपने मन की 
हलचल ,बया इसपल | 
आएगा  एक पल जब जान , 
जाओगे कहानी उस पल 
मैं ना बया करुगा अपनी ,
परेशानी  इसपल  
कवि : अप्तर हुसैन , कक्षा : 8th 
अपना घर  

कविता : "मैं एक , राह दो मेरे "

                                                     
  "मैं एक , राह दो मेरे "
                                                    क्या लेकर चलु ?                                                   
चलूँगा नए दिशा में जब ,
कितने दिन का सफ़र  में होगा | 
चलूँगा नए अंदाज में  जब 
क्या करना होगा ?
अज़नवी सी रहो में, 
दर उत्पन होगा नजूकसेमन में   
या रोना पढ़ेगा या कतराना होगा | 
 अंतिम तक जाने में, 
 मैं एक , रह दो मेरे रह | 

कवि : गोविंदा कुमार , कक्षा :8th 
                                                                                                                                                          अपना घर  

सोमवार, 24 फ़रवरी 2025

कविता :" मैं हूँ एक , राह है दो मेरे "

 " मैं हूँ एक , राह है दो मेरे "
  मैं हूँ एक , राह है दो मेरे 
पहला जिसमे भीड़ जमा है 
 दूसरा जिसपे कोई चला नहीं है 
  सवाल करता मेरे से मन मेरा 
ज़िद्दी सा बार - बार 
चलूं तो पहला रह पे ही क्यों ?
क्या ही कमियाँ  होगी 
अगर चला ढूंढने नई रह जो ?
इस सफर में बढ़ने से पहले 
बीनू तो किस रह को बीनू ?
मैं एक पर राह दो मेरे 
                                                                        कवि : पिन्टू कुमार , कक्षा : 9th 
                                                                                                       अपना घर