शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024

कविता :"मौसम "

"मौसम "
अब मौसम को क्या बताना ,
कभी कड़क गर्मी और धूप से मंडराना | 
कभी काले बदलो से सूर्य  ढक ले जाना ,
बारिश की मौसम का अब न कोई ढिकाना | 
अब मौसम को क्या कहना ,
चलती और बहती झरनो को सुखा देना | 
प्रकृति में गर्मी से उथल -पुथल  होना ,
बारिश मौसम का अब न कोई ढिकाना | 
अब मौसम को क्या कहना ,
कभी कड़क गर्मी और धूप से मंडराना 
| कवि :गोविंदा कुमार ,कक्षा :8th 
अपना घर 

कोई टिप्पणी नहीं: