रविवार, 21 अप्रैल 2024

कविता :"अकेला "

"अकेला "
शुक्र है की मैं अकेला मुस्कुराता हूँ ,
हर वक्त हर समय ख्यालो में खोया रहता हूँ | 
नहीं है कोई खौफ किसी का ,
अकेला हूँ अकेला रह लेता हूँ | 
जीने को नहीं चाहिए कुछ इस जंहा से ,
सोच की बस एक राह में रहता हूँ | 
अकेला हूँ अकेला रह लेता हूँ ,
खुद से कोई खता नहीं मुझे | 
दूसरों से कोई गिला नहीं मुझे ,
अकेला हूँ अकेला रह लेता हूँ | 
कवि :साहिल कुमार , कक्षा :8th 
अपना घर 

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