शुक्रवार, 14 जनवरी 2022

कविता : "कवि का एक मक्सद होता है "

"कवि का एक मक्सद होता है "
कवि का एक मक्सद होता है | 
उसके लिखे हुए पंक्तियाँ भी ,
 मुर्झाए को भी खिला देती है | 
हक़ीक़त में बदलना हो ,
तो देखते है सपने दिन -रात | 
क्योंकि पंक्तियाँ भी होती है कुछ खाश ,
कवि ऐसे ही नहीं बन जाते | 
उस कविता में ढालना पड़ता है ,
बस चार लाइनों में लिखा रहता | 
जैसे झरना गिरता हो कही आस -पास ,
यह कवि का संदेश है | 
मत भागों किसी के पीछे ,
खुद पर रखो विश्वास | 
कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा : 7th 
अपना घर
 

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