मंगलवार, 4 जनवरी 2022

कविता: "मंजिल"

"मंजिल"

कितना भी पास हो हमारी मंजिल | 

उसे पाना आसान नहीं ,

जिंदगी की हर एक मोड़ | 

सीधी नहीं होती ,

थक जाना थक कर फिर चलना | 

रुकने का जहन में कभी नाम नहीं ,

पसीने से लथपत हो जाना | 

 पर जिंदगी और मंजिल के ,

रास्तें पर न रुकना | 

दर्शाता है हर एक व्यक्ति की ,

मेहनत को और शाहस को | 

कभी भी अकेले न छोड़ना ,

कवि : समीर कुमार , कक्षा :11th 

अपना घर

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