बुधवार, 12 जनवरी 2022

कविता : "आ गई रौनक उन पौधों में "

"आ गई रौनक उन पौधों में  "

आ गई रौनक उन पौधों में |

जो कब से पड़ा था बेजान ,

गरज -गरजकर बरसा ऐसे | 

जो खिल -खिला उठे ,

मुड़ झाए हुए पौधे | 

इस बेमौसम बारिश ने ,

दे दिए एक ऐसा सौगात | 

जो पूरी उम्र रहेगा उन्हें याद ,

आ गई रौनक उन पौधों में | 

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 11th 

अपना घर


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