शनिवार, 18 सितंबर 2021

कविता : " भोर -भोर की है बात "

"  भोर -भोर  की है बात "

 भोर -भोर  की है बात | 

मै सोया था घर में टांग पसार ,

हल्की सी रौशनी आ रही थी | 

मेरे चेहरे के पास ,

मीच कर मै सोया आँख | 

बाहर चिड़ियाँ कर रही थी बात ,

मचा -मचा कर शोर | 

भर दिये थे मेरे कान ,

कह रही थी उठ जा जवान | 

कितनी सुन्दर सुबह है ,

मत  कर तू इसे बर्बाद | 

इससे कुछ सीख जाऐगा ,

मन कुछ नया लक्ष्य बनाएगा | 

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 11TH 

 अपना घर  

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