सोमवार, 15 मार्च 2021

कविता:- किसने बनाई ये बिगड़ी हुई संसार

 "किसने बनाई ये बिगड़ी हुई संसार"
किसने बनाई ये बिगड़ी हुई संसार।
जहाँ अमीर प्रजातियाँ बनी हुए हैं खूंखार।।
हर पद का मजा लेते हैं ये भरमार।
किसने बनाई है ये बिगड़ी हुई संसार।।
लूटपाट भ्रष्टाचार फैलाने में आगे रहती हैं।
गरीबों के उम्मीदों पर करते हैं प्रहार।।
कभी कभी मैं सोचाता हूँ।
किसने बनाई ये बिगड़ी ये संसार।।
बराबरी का संसार बनाने में डरते है।
क्योंकि इनको करना है गरीबों पर राज।।
किसने बनाई ये बिगड़ी हुई संसार। 
    कविः - विक्रम कुमार ,कक्षा -10th ,अपना घर, कानपुर,
 

कवि परिचय : यह कविता विक्रम के द्वारा लिखी गई है।  विक्रम बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं। विक्रम को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है। और वह अपनी प्यारी -प्यारी कविताओं एकत्रित कर उन्हें एक किताब में प्रकाशित करवाना चाहता है।  विक्रम एक रेलवे डिपार्टमेंट में काम करना चाहते हैं।
 
 

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