गुरुवार, 4 जून 2020

कविता : फूलों की खुशबू

" फूलों की खुशबू "

मौसम है सुहाना,
और सुहाना है ये जहाँ | 
फूलों की खुशबू महके,
प्रकति में हलचल हो वहाँ | 
मधुमक्खियों की भनभनाहट,
शहद से भरी छत्तों की बनावट | 
उतनी ही मीठा होती है,
जितनी अच्छी फूलों  खुशबू होती है | 
महक उठा है वातावरण,
चहक उठा है चिड़ियों का गगन | 
अब आँखों में न होंगें आँसू,
क्योंकि चेहरे पर है फूल जैसी खुशबू | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 11th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक  " फूलों की खुशबू " प्रांजुल के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजलको कवितायेँ लिखने के साथ चैत्राकला  भी बहुत अच्छी लगती है | गणित में बहुत रूचि रखते हैं | 

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