शुक्रवार, 8 मई 2020

कविता : बन तू महान

" बन तू महान "

सपनों को चुनना फिर उसे पूरा करना,
हर किसी के बस में नहीं होता |
अच्छे से पढाई करने का प्रण लेना,
फिर अच्छे से पढाई कर पाना |
हर किसी के बस में नहीं होता,
हर किसी इ बस में होता है बस |
अपने सपनों को मार देना,
पढाई करने के नाम पर दिखावा करना |
अरे मेरे भाई तू शायद ये भूल रहा है,
की तू अपने को ही धोखा दे रहा है |
बन जाएगा भले  ही तू महान,
फिर भी खो देगा अपने जहान 
कुछ कर दिखा इस दुनिया को
कर सकता हूँ कुछ पाने को | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं | समीर कवितायेँ लिखने के साथ - साथ गीत गाना भी बहुत पसंद करते हैं | सभी के साथ सादा व्यवहार रखने वाले समीर एक बहुत ही अच्छा और नेक बालक है |



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