गुरुवार, 27 अक्तूबर 2016


हवा 
हिमालय चढ़ना हमारे बस में नहीं ,
हवा  को मोड़ने चले/
मुसीबतों से पार होकर  ,
दुनियां को बदलने चले /
हर कदम में मुसीबतों का ढेर है ,
फिर भी अपने कदम आगे है /
हम ठोकर खाते -खाते ,
सफलता की सीढियाँ चढ़ रहे हैं /
चूर -चूर हो गए शरीर ,
पर हौशलों में हमारे दम है /
सबको बता कर रहना है हमको ,
नहीं किसी से कम है /

नाम = रविकिशन 
कक्षा = 7th 

कोई टिप्पणी नहीं: