सपनों का संसार
सपनों का संसार सुहाना लगता है '
मैंने कल्पना की हर चीज़ पुराण लगता है /
मुझे हर चीज़ अनदेखी सी लगती है
बस मुझे आवाज़ सुनी सी लगती है /
मेरी आँख तो बंद होती है
पर मेरे दिल -दिमाग की सोंच बंद है /
मैं तो सपनों में सोया रहता हूँ ;
बेड पर ही सोया रहता हूँ /
मुझे हर चीज़ अदृश्य दिखाई देती है ;
मुझे सपनों का ख्याल ही ख्याल दिखाई देता है /
नाम = विक्रम कुमार
कक्षा =6th
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