मंगलवार, 1 सितंबर 2009

कविता: चूहे राजा की रानी

चूहे राजा की रानी

एक चूहे की तीन रानी,
तीनों रानी बड़ी सयानी ...
एक थी कानी पर कोयल जैसी बाणी,
बाते करती ऐसी जैसी सबकी हो नानी...
एक थी लगडी सर पर डाले पगड़ी,
हट्टी -कट्टी और थी मोटी तगड़ी...
एक थी सीधी -साधी प्यारी सी,
राजा को लगती राजकुमारी सी...
दोनों रानी इस बात से चिढ़ती थी,
राज के कान को भरती थी...
एक दिन दोनों राजा के उपर गिर गई,
राजा की पूछ उनके वजन से दब गई...
कानी लगडी का वजन था ज्यादा,
चूहे राजा को याद आ गए दादा ...
दर्द ने राजा के गुस्से को भड़काया,
राजा ने रानी को घर से मार भगाया...
लेखक: आदित्य कुमार, कक्षा ७, अपना घर

5 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत सुन्दर बाल कविता बधाई

Yamini Gaur ने कहा…

आदित्य जी सुंदर कविता लिखी है आपने
मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ पर आप सभी मेरे ब्लोग पर पधार कर मुझे आशीश देकर प्रोत्साहित करें ।
” मेरी कलाकृतियों को आपका विश्वास मिला
बीत गया साल आप लोगों का इतना प्यार मिला”

लता 'हया' ने कहा…

thanx.aapke blog par der se aayi lekin aakar laga ke der aayed durust aayed. sensitive blog,good poems,congs.

Arshia Ali ने कहा…

Sundar kahani.
( Treasurer-S. T. )

Sudhir Kekre ने कहा…

hello aditya,
firse ek baar bahut sundar kavita.
well done.