"संघर्ष "
देखो है हजारों की संघर्ष,
जब नहीं थी चीजे उपलब्ध |
लोगो में थे आपसी संबंध,
न थी एक-दूसरे के प्रति घमंड |
उम्मीदों की छाया बनते थे वह सब,
मुशीबतों के आने पर|
जीत हो या हार हो,
पर संघर्ष जारी रहता था|
देखा है हजारों की संघर्ष,
जब नहीं थी चीजे उपलब्ध|
कवि :पिंटू कुमार ,कक्षा :9th
अपना घर
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