रविवार, 8 दिसंबर 2024

कविता :"समुद्र "

"समुद्र "
समुद्र के किनारे बैठ कर,
लहरों को देखना है| 
कैसे आता है और चला जाता है,
हमको समुद्र पार जाना है| 
पर समुद्र में क्या पता क्या होगा?
समुद्र के किनारे बैठ कर,
लहरों को देखना है| 
लहरों की आवाज कानो में सुनाई देती है,
ऐसा लगता है कुछ संदेसा लाकर 
कहना चाहती है|  
समुद्र के किनारे बैठ कर ,
लहरों को देखना है| 
कवि :रमेश कुमार , कक्षा :4th 
अपना घर 

गुरुवार, 5 दिसंबर 2024

कविता :"मासूम दुनिया "

"मासूम दुनिया "
बहुत मासूम है यह दुनिया ,
एक चीज के पीछे हजार लोग भागते है  | 
पर नसीब में किसी का न होता,
कुछ लोग अकेलापन को अपना दुनिया मानते| 
अब अनजान बनकर रहना चाहते है ,
बहुत मासूम है यह दुनिया|
सब लोग अपने आप को बड़े मानते है | 
जो चाह में आये वह करना चाहते है,
एक चीज के पीछे हजार लोग भागते है| 
बहुत मासूम है यह दुनिया ,
सिर्फ दूसरों में गलती निकालते है | 
पर अपने गलतियों पर अमल नहीं करते ,
बहुत मासूम है यह दुनिया| 
कवि : अमित कुमार ,कक्षा :10th 
अपना घर