शनिवार, 21 सितंबर 2024

कविता : "दोस्त "

 "दोस्त "
कमी बस यही है एक संग जीना है तुम्हारे ,
ये दोस्त रूठना नहीं कभी मुझसे | 
कुछ खट्टी कुछ मीठी यादे है संग तुम्हारे ,
जबतक संग हो तुम मेरे,करने का जज्बा है सब कुछ | 
जो छोड़ दिया साथ तुमने ,करने को नहीं है कुछ भी | 
तुमसे ही तो हिम्मत है,जीने की राह तुमसे ही है | 
नाकामी में साथ रहे तुम्हारा,कामयाबी में रहे हाथ तुम्हारा | 
लाखो मुसीबते आये बस,उम्मीद न छोड़ना | 
करके दिखाऊंगा मैं,सफल पाके दिखाऊँगा मैं | 
कमी बस यही है एक,संग जीना है तुम्हारे | 
ये दोस्त नहीं रूठना मुझसे तुम ,
कुछ खट्टी कुछ मीठी यादे है संग तुम्हारे | 
कवि :साहिल कुमार,कक्षा :8th 
 अपना घर 


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