रविवार, 16 जुलाई 2023

कविता :"मंजिल "

"मंजिल "
 मै मंजिल की रह में निकला हूँ | 
सारी कठिनाई से लड़ता हूँ 
कभी उदास होता हूँ | 
तो  गिर कर संभालता हूँ 
सारी हिम्मत को इक्क्ठा कर | 
अपने लक्छ्य की ओर एक कदम मै बढ़ता हु न 
तब जाकर मै थोड़ा सुकून सा पाता हूँ | 
कभी बड़े भाई  मदद से 
खुद को मोटिवेट करता हूँ | 
मै मंजिल की राह में निकला हूँ 
सारी कठिनाई से लड़ता हूँ | 
कवि :सार्थक कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 

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