शनिवार, 29 मई 2021

कविता : "पैसो के पीछे भागते है "

"पैसो के पीछे भागते है "

कुछ लोग पैसो के पीछे भागते है | 

इन गरीबो को समझो ,

जो भुखमरी से पीछा नही छुड़ा पता है | 

सभी गाँव का तालाब सूख गए ,

पेड़ -पौधे भी रूठ गए | 

वह  कुआँ भी नस्त हो गए ,

जहा से पानी खीचा करते थे |

वह जमीन भी सूख गई ,

जहाँ फसल हस कर खिला करते थे | 

अबतो बादल भी रूठ गया ,

जो बूंदे बनकर टपका करते थे | 

वो मुस्कुराहट भी चली गई ,

जो वर्षा पहले दिखा करते थे | 

इन हालतो को देख कर ,

आँखों से आँसू टपक आते है | 

आधे पेट ही खा कर ,

जिंदगी जिया करते है | 

इन गरीबो को समक्षो ,

जो भुखमरी से पीछा नहीं छुड़ा पाते है | 

कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा : 7 

अपना घर


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