शनिवार, 5 दिसंबर 2020

कविता:- आज़ादी

 "आज़ादी"
बहुतों ने दी है इस देश के लिए जान।
तभी तो तिरंगे की बढ़ी है शान।। 
जो देश के लिए कुरबान हुए। 
वो देश के लिए महान हुए।। 
कहीं तोप चली तो कहीं गोली।
उसके बाद भी बढ़ाते चले।। 
देश भक्तों की टोली चली।
कही क्रांति थी तो कही थी शान्ती।।  
बहुत मुश्किलों बाद देश हुआ आज़ाद।
अब देश की तरक्की की होगी आगाज।। 
बहुतों ने दी है इस देश  लिए जान। 
तभी तो तिरंगे की बढ़ी है शान।। 
कविः- अखिलेश कुमार, कक्षा -10th, अपना घर, कानपुर,
 
कवि परिचय : यह कविता अखिलेश के द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक "आज़ादी"  है। ये बिहार के नवादा जिले के रहने वाले है।
 
 


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