"जो है सही"
अब हवा क्यों नहीं चलती,
अब चिड़िया क्यों नहीं चहकती |
छोटे बच्चे मुस्कराते क्यों नहीं,
ये समय रुका क्यों नहीं |
अब मेरी भी सुन लो,
जो कह रहा हूँ सही |
ये सूरज क्यों नहीं कुछ कहता,
चंदमा क्यों नहीं चमकता |
समुद्र की लहरें क्यों नहीं गाता,
अब फूल क्यों नहीं महकता |
अब मेरी भी सुन लो,
जो कह रहा हूँ सही |
फैक्ट्रियां अब चलेगी नहीं,
कोई कूड़ा अब होगा नहीं |
सारी गन्दगी करो सही,
चाहे वो फैला हो कंही |
अब सबसे कहना है यही,
करो मिलकर गंदगी सही |
कवि: देवराज, कक्षा 7th, अपना घर, कानपुर
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