किरणें
निकलती हैं पूरब से किरणें ,
छिपती हैं पश्चिम में किरणें ....
न जाने हैं यह कैसी किरणे ,
आसमान में भी छा जाती हैं किरणें ....
इन किरणों में है रोशनी एकत्र ,
जो सुबह से दोपहर तक फैलती सवत्र .....
निकलती हैं पूरब से किरणें ,
छिपती हैं पश्चिम में किरणें ....
आसमान में भी छा जाती हैं किरणें ....
इन किरणों में है रोशनी एकत्र ,
जो सुबह से दोपहर तक फैलती सवत्र .....
निकलती हैं पूरब से किरणें ,
छिपती हैं पश्चिम में किरणें ....
लेखक : ज्ञान कुमार
कक्षा : 8
अपना घर
4 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर कविता
आठ्वीं कक्षा के छात्र की कविता रचना प्रयास प्रशंसनीय है।यह प्रयास निरंतर करना है।
सुधा भार्गव
बहुत प्यारी रचना . बधाई . आज है मेरे बेटे सृजन का जन्म दिन ...देखें - बाल मंदिर
http://baal-mandir.blogspot.com/
कविता रचना प्रयास प्रशंसनीय है।यह प्रयास निरंतर करना है।
बहुत प्यारी रचना . बधाई
एक टिप्पणी भेजें