डर लगता है इस संसार से ।
कोई न कोई डरता है एक दूजे से ॥
जीव जन्तु डरते है मानव से ।
मानव डरते है जीव- जन्तु से॥
अब हम न किसी का नुकसान करेगे ।
और न किसी से हम डरेगे ॥
हम सब मिलकर एक दूजे का साथ देगे।
एक दूजे की हम रच्छा करेगे ॥
लेखक -हंसराज
कक्षा -६
अपना घर
कक्षा -६
अपना घर
2 टिप्पणियां:
नये वर्ष की शुभकामनाओं सहित
आपसे अपेक्षा है कि आप हिन्दी के प्रति अपना मोह नहीं त्यागेंगे और ब्लाग संसार में नित सार्थक लेखन के प्रति सचेत रहेंगे।
अपने ब्लाग लेखन को विस्तार देने के साथ-साथ नये लोगों को भी ब्लाग लेखन के प्रति जागरूक कर हिन्दी सेवा में अपना योगदान दें।
आपका लेखन हम सभी को और सार्थकता प्रदान करे, इसी आशा के साथ
डा0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
जय-जय बुन्देलखण्ड
अच्छी रचना है।बधाई।
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