"जन्मों का रिस्ता"
ऐ मेरे दोस्त , इस दोस्ती को भूलना मत,
ये दोस्ती का रिस्ता तोड़ना मत ,
चाहे कुछ भी हो जाए तुम ,
हमें मत भूलना ऐ मेरे भाई।
हर एक परेशानी में काम आएंगे एक दूसरे के ,
चाहे जो भी हो जाए , एक साथ रहेंगे एक दूसरे के।
हमारी दोस्ती भी कितनी हसीन है ,
जैसे खुसबू से महकता हर एक दिन है।
साथ चले तो राहो आसान हो जाती है ,
दोस्ती से जिंदगी में रौनक सी छा जाती है।
ऐ दोस्त मेरे हमेशा मेरे साथ ही रहना तुम ,
सब कुछ खो जाए पर न खोना तुम।
लड़ाई कर के भी साथ रहेंगे, भले ही हमारे बिच छुपी छा जाए,
फिर बात करेंगे तुम एक दूसरे से।
उदास स चेहरा मत बनाना तुम ,
रोने के जगह हसना तुम।
अपने आँशु को संभलकर रखना ऐ मेरे दोस्त,
ये मोती से दिखने वाले, करोड़ो में बिकने वाले,
अपने भी है बहुत से चाहने वाले।
कवि: नीरज कुमार, कक्षा: 5th,
अपना घर।
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