कविता : " चेतक "
देखकर चेतक का रंग ,
दुश्मनों को भी कर दिया दंग।
राणा के हर एक इसरो को भाप जाता था,
हर वार से बचकर लोगो को मार गिराता था।
हवा से भी तेज भागने वाला ,
वह चेतक कहलता था।
जब युद्ध केबीच उत्तरा हो ,
महाराणा प्रताप का चेतक पुतला हो।
बीन गिरे सबको गिरा जाता था ,
हवा के सम्मान वह चेतक कह लता था।
प्राप्त हुआ वीरगति को ,
घायल चेतक राणा की जान बचाया था ,
खाकर तीरो की मार फिर भी मार गिराया था।
हवा के सम्मान वह चेतक कहलाता था।
हवा से भी तेज भागने वाला ,
वह चेतक कहलता था।
दुश्मनों को भी कर दिया दंग।
राणा के हर एक इसरो को भाप जाता था,
हर वार से बचकर लोगो को मार गिराता था।
हवा से भी तेज भागने वाला ,
वह चेतक कहलता था।
जब युद्ध केबीच उत्तरा हो ,
महाराणा प्रताप का चेतक पुतला हो।
बीन गिरे सबको गिरा जाता था ,
हवा के सम्मान वह चेतक कह लता था।
प्राप्त हुआ वीरगति को ,
घायल चेतक राणा की जान बचाया था ,
खाकर तीरो की मार फिर भी मार गिराया था।
हवा के सम्मान वह चेतक कहलाता था।
हवा से भी तेज भागने वाला ,
वह चेतक कहलता था।
वह चेतक कहलाता था ..............।
कवि : निरु कुमार, कक्षा : 9th,
अपना घर।