" पल भर की है अपनी जिन्दगी "
पल भर की है अपनी जिन्दगी,
कल का वेट मेट कर अभी |
क्या पता ये होगा या नहीं,
खुल कर जिओ तुम सभी |
हर मिनट का इंतज़ार करता हूँ,
क्या होगा ये अनुमान करता हूँ |
बस पुराणी यादों से सहमा रहता हूँ,
उसी को देखकर जिन्दा रहता हूँ |
कवि : प्रांजुल , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह है प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजुल कविताएं बहुत ही अच्छी लिखते हैं और अपनी कविता से लोगो को को प्रेरणा देते हैं | प्रांजुल बड़े होकर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं | प्रांजुल को बच्चो को पढ़ाना बहुत अच्छा लगता है |