मंगलवार, 18 नवंबर 2025

कविता: "जन्मों का रिस्ता"

"जन्मों का रिस्ता"
ऐ मेरे दोस्त , इस दोस्ती को भूलना मत,
ये दोस्ती का रिस्ता तोड़ना मत ,
चाहे कुछ भी हो जाए तुम , 
हमें मत भूलना ऐ मेरे भाई। 
हर एक परेशानी में काम आएंगे एक दूसरे के ,
चाहे जो भी हो जाए , एक साथ रहेंगे एक दूसरे के। 
हमारी दोस्ती भी कितनी हसीन है , 
जैसे खुसबू से महकता हर एक दिन है। 
साथ चले तो राहो आसान हो जाती है ,
दोस्ती से जिंदगी में रौनक सी छा जाती है। 
 ऐ दोस्त मेरे हमेशा मेरे साथ ही रहना तुम ,
सब कुछ खो जाए पर न खोना तुम। 
लड़ाई कर के भी साथ रहेंगे, भले ही हमारे बिच छुपी छा जाए,
फिर बात करेंगे तुम एक दूसरे से। 
उदास स चेहरा मत बनाना तुम ,
रोने के जगह हसना तुम। 
अपने आँशु को संभलकर रखना ऐ मेरे दोस्त,  
ये मोती से दिखने वाले, करोड़ो में बिकने वाले,
अपने भी है बहुत से चाहने वाले। 
कवि: नीरज कुमार, कक्षा: 5th,
अपना घर। 




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