रविवार, 15 सितंबर 2024

कविता:"चिड़िया "

"चिड़िया "
कितनी सुन्दर चिड़िया है ,
जरा उसके पंख और सुंदरता तो देखो | 
लगता है तुम्हे बुला रही है ,
सुरीली आवाज में चहचहा रही है | 
आसमान में उड़ती हवा को कटती ,
मस्त मगन लहरा रही है | 
लगता है किसी को बुला रही है ,
कितनी सुन्दर चिड़िया है | 
कवि :रमेश कुमार ,कक्षा :4th 
अपना घर 

बुधवार, 11 सितंबर 2024

कविता : "परिंदा "

 "परिंदा "
सोए हुए गुमसुम परिंदा ,
अब जाग जाओ तुम | 
देखो विपत्तियों का गठर लदा हुआ है ,
हर एक उम्मीदों पर | 
अब जरा एक झलक देख लो ,
अपने अंदर की आत्मा को | 
तुम्हारी हर बातो से दुःख है ,
सोए हुए गुमसुम परिंदा | 
अब जाग जाओ तुम ,
तुमने सबको देखा है | 
और देखा लोगो की कयामत  ,
अब क्या सोचते हो | 
बस एक ही बात में उलझे रहते हो ,
सोए हुए गुमसुम परिंदा | 
अब जाग जाओ तुम ,
कवि :अमित कुमार ,कक्षा :10th 
अपना घर  

सोमवार, 9 सितंबर 2024

कविता :"ये बेरंगीन हवाएं "

"ये बेरंगीन हवाएं "
गजब की है ये सदाएं ,
आसमान में उड़ा ले जाए ये बेरंगीन हवाएं | 
अपने  रंग में रंगकर बेहतरीन राग सुनाए ,
हर द्वेष भाव को क्षड़ ही भुलाए | 
मोहब्बत चारो ओर फैलाए ,
भुलवा देती है जीवन की बाधाएं | 
आसमान  में उड़ा ले जाए ये बेरंगीन हवाएँ ,
कोसो दूर  से सन्देश लाए | 
जीवन की सुंदरता से प्रेम मिलाये ,
रखती है दिलचस्पी बराबर सभी में | 
गजब की है सदाएँ ,
आसमान में उड़ा ले जाए ये बेरंगीन हवाएँ | 
कवि :साहिल कुमार ,कक्षा :8th 
अपना घर