बुधवार, 28 जुलाई 2021

कविता :" इस ऊमस भरी गर्मी में "

" इस ऊमस भरी गर्मी में "

 इस ऊमस भरी गर्मी में  | 

कैसे जिया जाए क्या किया जाए ,

कुछ सूझता नहीं , तन सूखता कहीं | 

बिन हवा के कैसे रहा जाए ,

इसे ऊमस भरी गर्मी में कैसे रहा जाए | 

पसीने की कतार -धार चढ़ी है ,

बिना पेड़ो के गर्मी और भी कड़ी है | 

इस ऊमस भरी गर्मी में कैसे रहा जाए ,

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 12th 

अपना घर

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