" छोटा बन जाऊँ "
मन करता है छोटा बन जाऊँ,
माँ का प्यार दोबारा पाऊँ |
उंगली पकड़कर चलना सिखाती,
हर अनजान मोड़ पर राह दिखाती |
`हर गलती को मेरी बक्श दे,
जीवन में मुझे ढेरों प्यार दे |
ममता की साया में रहूँ ,
माँ से मैं दिल की बात कहूँ |
बचपन बहुत ही कीमती होता है,
जिसको नसीब नहीं वह रोता है |
बचपन के दिन नादान होते हैं,
लेकिन बचपन के बाद खूब रोते हैं |
काश सभी को बचपन नसीब हो,
एक छोटा बच्चा माँ के करीब हो |
नाम : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
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