" समाज "
समाज क्या कहेगा हम यही,
सोचकर पीछे रह जाते हैं |
कुछ किय बिना ही समुद्र ,
की लहरों में बह जाते हैं |
बस यही सोचकर हम इस,
दुनिया में खो जाते हैं |
आँसू की हर एक बूँद,
गर्म रेत में खो जाती है |
लाख कोशिश के बाद भी,
लौट कर नहीं आती है |
कुछ नहीं सिर्फ अपनी जिंदगी,
की कोशिशों में रह जाते हैं |
नाम : विशाल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं विशाल और यह हरदोई के रहने वाले हैं | विशाल दिल से बहुत कठोर और शायद यही वजह है की यह कविताएं बहुत ही कठोर वाली लिखते हैं | विशाल बड़े होकर रेलवे में काम करना चाहते हैं |
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