" माँ "
माँ तू कितनी प्यारी है,
दुनिया से तू न्यारी है |
सारा दिन करती है घर का काम,
कभी नहीं करती है तू आराम |
सुबह उठाकर चली है जाती,
मेरे लिए गरमा गरम नाश्ता बनाती |
मुझको तू रोज़ नया सिखाती,
नया संसार का रास्ता दिखाती |
क्या सच है तू मुझे बताती,
चोट लगने पर मरहम लगाती |
माँ तू कितनी प्यारी है,
दुनिया से तू न्यारी है |
कवि : संतोष कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर
3 टिप्पणियां:
मदर्स डे की हार्दिक शुभकामनाओं सहित , आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की २०५० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ...
" जिसको नहीं देखा हमने कभी - 2050वीं ब्लॉग-बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सुंदर कविता
बहुत सुन्दर
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