" नन्हे से हाथों को "
मेरे नन्हे से हाथों को,
औज़ार भा गया |
मेरे नन्हे से आँखों को,
पैसे लुभा गया |
न समझ था मुझमे,
नाजायज फायदा उठाया गया |
जिन आँखों में होनी चाहिए थे,
ख्वाबों का संसार |
तो शाम को सोते हैं,
लेकर सुबह के विचार |
नाम : देवराज कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर
कवि परिचय : ये हैं देवराज कुमार जो की बिहार के नवादा जिले से अपनाघर में पढ़ने के लिए आये हुआ है | ये कवितायेँ लिखने के साथ - साथ डांस भी अच्छा कर लेते हैं | पढ़ने में भी बहुत अच्छे हैं |
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