"प्यारी माँ हमारी "
रोज़ सुबह वह मुझे उठती है,
फिर वह मुझे नहलाती है |
अपने नरम - नरम हाथों से,
गरम - गरम नाश्ता खिलाती है |
हाथ पकड़कर स्कूल ले जाती,
शाम ढले तो घर ले आती |
बैठ मुझे वह पाठ पढ़ाती,
समझ न आये तो फिर समझाती
क , ख ,ग वह मुझे सिखाती,
वह मेरी है सबसे प्यारी |
वह मेरी है सबसे न्यारी,
वह तो है प्यारी माँ हमारी|
कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 6th , अपनाघर
1 टिप्पणी:
आपकी रचना बहुत ही अच्छी लगी। लिखते रहिए शुभकामनायें "एकलव्य"
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