" देखो इस चिड़िया को "
देखो इस चिड़िया को,
कैसे चहचहाती है |
जैसे हम लोगों को,
कुछ वह कहना चाहती है |
जीते ही हर पल को,
हमेशा वह गाती है |
देखो इस चिड़िया को,
क्यों वह चहचहाती है |
दुःख बहुत होते है लेकिन,
हमको वह बताती है |
दुःख - सुख अपने देखो,
एक पल में सह जाति है |
अपने को चोट लगे तो,
डॉक्टर के पास जाते हैं |
लेकिन एक चिड़िया को देखो,
दर्द अपने सह जाते हैं |
चाहे दुःख या हो गम,
सभी पल को देखो,
हंस कर वह बिताती है |
कवि : समीर कुमार , कक्षा : 7th, अपनाघर
4 टिप्पणियां:
वाह्ह बहुत ख़ूब ! सुन्दर
सही कहा। दर्द होने पर भी चिड़िया डॉक्टर के पास नहीं जाती, सह लेती है और हम इंसान हैं कि हाय तौबा मचा देते हैं.....
बाल मन की अति सुंदर कल्पना और संवेदनशीलता सराहनीय है | वेरी गुड समीर--- मेरा हार्दिक स्नेह तुम्हे -- लिखते रहो - माँ सरस्वती तुम्हे यश प्रदान करे |
बहुत खुबसूरत समीर.. चिड़िया डा.के पास नही जाती हैं हम इंसानों के पास ही सहनशीलता नहीं होती है... बहुत ढेर सारी शुभकामनाएं आपको..अपनी मासुमियत बनाएं रखें...!
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