"सुबह - सुबह जब मैं जागा "
सुबह - सुबह जब मैं जागा,
बिस्तर छोड़कर व्यायाम को भागा |
तब सुबह के बज रहे थे चार,
चिड़ियाँ उड़ी पंख को पसार |
मानों प्रकति कह रही हो,
क्या घूमना चाहते हो संसार |
मैं तो था बिल्कुल तैयार,
लेकिन सपना टूटा तो
हो गया सब बेकार | |
कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर
कवि परिचय : यह हैं देवराज कुमार जो की बिहार के नवादा जिले से आये हुए हैं | इन दो - तीन सालों में इन्होने बहुत अच्छी कविताएं लिखना सिख गए हैं और अभी चाहतें हैं की और भी सीखें | ये डांस भी बहुत अच्छा कर लेते हैं |
2 टिप्पणियां:
आदरणीय /आदरणीया आपको अवगत कराते हुए अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि हिंदी ब्लॉग जगत के 'सशक्त रचनाकार' विशेषांक एवं 'पाठकों की पसंद' हेतु 'पांच लिंकों का आनंद' में सोमवार ०४ दिसंबर २०१७ की प्रस्तुति में आप सभी आमंत्रित हैं । अतः आपसे अनुरोध है ब्लॉग पर अवश्य पधारें। .................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
बहुत सुंदर ! देवराज आपकी हँसी बड़ी प्यारी है ।
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