शनिवार, 9 सितंबर 2017

कविता : आसमान को छूना

" आसमान को छूना "

मैं छूना चाहता हूँ आसमान को ,
हर मुश्किल  की हर बाधाओं  को | 
टक्कर देकर आना चाहता हूँ, 
आसमान में चमकते तारों को| 
हमेशा अपना रौशनी बिखराये 
रखते हैं निर्धन हो या धनि, 
प्रेणना के जलवे फैलाये रखते हैं | 
हर एक को साथ लेकर चलना, 
वे द्रश्य रखते हैं |  

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 7th ,अपनाघर

कवि परिचय : यह विक्रम कुमार है जो की बिहार से आए हैं | यह हर काम में अपना बहुत एफर्ट देते हैं चाहे खेल कूद में या फिर पढ़ाई में हो | हर दम चेहरे में ख़ुशी रहती है | यह रेस में बहुत ही तेज से भागते हैं | कवितायेँ इनकी बहुत ही अच्छी होती हैं |  

2 टिप्‍पणियां:

Meena sharma ने कहा…

खूब अच्छा विक्रम !यूँ ही सपने देखते रहो और उन्हें सच करने के लिए जी जान से मेहनत करो । शाबास !

neera bhargava ने कहा…

शाबाश परिश्रम ही सफलता की कुंजी है