" आसमान को छूना "
मैं छूना चाहता हूँ आसमान को ,
हर मुश्किल की हर बाधाओं को |
टक्कर देकर आना चाहता हूँ,
आसमान में चमकते तारों को|
हमेशा अपना रौशनी बिखराये
रखते हैं निर्धन हो या धनि,
प्रेणना के जलवे फैलाये रखते हैं |
हर एक को साथ लेकर चलना,
वे द्रश्य रखते हैं |
कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 7th ,अपनाघर
कवि परिचय : यह विक्रम कुमार है जो की बिहार से आए हैं | यह हर काम में अपना बहुत एफर्ट देते हैं चाहे खेल कूद में या फिर पढ़ाई में हो | हर दम चेहरे में ख़ुशी रहती है | यह रेस में बहुत ही तेज से भागते हैं | कवितायेँ इनकी बहुत ही अच्छी होती हैं |
2 टिप्पणियां:
खूब अच्छा विक्रम !यूँ ही सपने देखते रहो और उन्हें सच करने के लिए जी जान से मेहनत करो । शाबास !
शाबाश परिश्रम ही सफलता की कुंजी है
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