" गर्मी "
उफ़ ये गर्मी है बेनरमी,
कितनो को है इसने सताया | बड़े - बड़ों को मार भगाया,
बिना पानी के राहत नहीं |
ठण्ड के लिए कहीं छाँव नहीं |
रूहअफज़ा पीओ बर्फी खाओ,
गर्मी को करारा जवाब दिलाओ |
क्या करें ये दिन ही ऐसा है,
एक दिन पूरे साल के जैसा है |
कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर कानपुर
कवि परिचय : यह छत्तीसगढ़ के रहने वाले प्रांजुल है | ये अपनाघर में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | इनकी कविताएँ बहुत अच्छी होती है | पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | गणित इनका प्रिय विषय है |
5 टिप्पणियां:
अच्छा लिखा है प्रांजुल आपने ।
अद्भुत
अद्भुत प्रांजुल......
अद्भुत प्रांजुल......
बहुत सुन्दर रचना है बेटा
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