शुक्रवार, 25 अगस्त 2017

कविता :सीखो

सीखो 
फूलों से मुस्काना सीखो, 
चिड़ियों से यूँ गुनगुनाना सीखो | 
हवाओं से लहराना सीखो, 
समंदर से यूँ झूमना सीखो |  
पेड़ों से कुछ पाना सीखो, 
भोरों से गुनगुनाना सीखो | 
हिमालयों जैसी सफलता पाना सीखो, 
सूरज से रौशनी फैलाना सीखो |  
चाँद से चमकना सीखो, 
ये है जीवन की अच्छाई | 
सीखते रहो तुम मेरे भाई | 

कवि - देवराज , कक्षा - 7th , अपनाघर 

कवि परिचय - ये हैं बालकवि देवराज कुमार बिहार के रहने वाले है | कवितायेँ लिखने का शौक कक्षा ५ से था यही कारण है कि  ये आज यहाँ है | इसके परिवार वाले ईंट भठ्ठों के मजदूर हैं | इनको डांस करना बेहद पसंद है | 

13 टिप्‍पणियां:

'एकलव्य' ने कहा…

आपकी रचना बहुत ही सराहनीय है ,शुभकामनायें ,आभार
"एकलव्य"

BAL SAJAG ने कहा…

Thank for read the poem .

'एकलव्य' ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार ०६ नवंबर २०१७ को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

Sweta sinha ने कहा…

बहुत सुंदर कविता आपकी देवराज,मेरी ढेर सारी शुभकामनाएँ एवं शुभाशीष है आपके लिए।

Meena Bhardwaj ने कहा…

देवराज बहुत सुन्दर संदेश देती है आपकी कविता . आप खूब पढ़ें . सस्नेह आशीर्वाद .

Sadhana Vaid ने कहा…

वाह ! बहुत सुन्दर कविता है आपकी देवराज ! प्रकृति का हर प्राणी हर तत्व हमें कोई न कोई सुन्दर सन्देश देता है ! आपने बाखूबी उस सन्देश को सुना भी और समझा भी ! यह आपके संवेदनशील हृदय का परिचायक है ! इसी तरह लिखते रहें ! हार्दिक शुभकामनाएं !

Rajesh Kumar Rai ने कहा…

खूबसूरत कविता बाबू देवराज जी । प्रकृति से सीखने के लिए बहुत कुछ है । ढ़ेरों आशीष एवं शुभकामनाएँ ।

विश्वमोहन ने कहा…

सम्पूर्ण सत्ताएं एक ही परम सत्ता और सम्पूर्ण भाव एक ही परम भाव के अंतर्भूत है. उन परम भावों का प्रादुर्भाव बालपन के उर्वरा प्रांगण में होता है. इसी बात को महाकवि विलियम वर्ड्सवर्थ ने कहा " Child is the father of man " और इसी बात को प्रमाणित किया है आपने अपनी इस रचना में!!! बधाई, आभार और शुभकामनाएं कि सृष्टि के आप सरीखे नव प्रसूनों के सुवास से साहित्य का आंगन सर्वत्र और सर्वदा सुरभित होते रहे!!!! यूँ ही लिखते रहें , सीखते रहें और साहित्याकाश में दीखते रहें !!!!

Digvijay Agrawal ने कहा…

वाह...
नहीं छोड़ना पढ़ना
और छोड़ना नहीं..
लिखना..
खिलखिलाते रहिए

शुभा ने कहा…

वाह!!ऐसे ही लिखते रहिये ..बहुत सुंदर लिखा आपने देवराज ...सस्नेह आशीष ।

अमित जैन मौलिक ने कहा…

यूँ ही सीखते रहो और लिखते रहो कवि देवराज जी। ख़ूब भालो

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत खूब....
सुन्दर रचना ।
शुभकामनाएं आपको प्रिय देवराज!

NITU THAKUR ने कहा…

बहुत सुंदर ढ़ेरों आशीष एवं शुभकामनाएँ