मंगलवार, 4 जुलाई 2017

"रिमझिम करती बारिश आयी "

रिमझिम करती बारिश आयी ,
कही कही बादल गिरते 
तो कही बम के गोले गिरते ,
ऐसी बारिश में नहाने को बहुत मन 
करता 
कभी कभी मन करता की समुन्दर पर 
तैरु ,
बारिश में खाने का  ,टीवी देखने 
का दिलचस्प रहता मन ,
प्यासी रहती भी बृष और बगीचे 
इनकी प्यास बुझाने बारिश आयी 

                     नाम =राज ,कक्षा =८ 
                        अपना घर 

2 टिप्‍पणियां:

'एकलव्य' ने कहा…

बहुत ख़ूब ! क्या बात है ,सुन्दर अभिव्यक्ति आभार। "एकलव्य"

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत ही सुंदर भाव.

रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

कृपया कैप्चा हटा लिजीये, दिक्कत होती है.
सादर