"मुश्किलें"
मुश्किलें की आहत आई ,
मुश्किलें की आहत आई ,
ओठों में उदासी सी छाई |
वो फूल का खिलना ,
वो तेज हवा का चलना |
उससे डटकर खड़े रहना ,
पंखुडिया जैसे न छेड़ना |
इसे कहते है जिंदगी की पहले पाँव का चढ़ना |
वो चन्द्रमा की प्रकाश की तरह बौछार करना |
अँधेरी सी मुश्किलों में प्रकाश को भरना |
कभी न किसी मुशिकलों से डरना ,
यही है मेरी चाहत आगे को ही है बढ़ना |
कवि: राज , कक्षा 8th, कानपुर
कवि का परिचय: राज "अपना घर" परिवार के सदस्य है। ये हमीरपुर, उत्तर प्रदेश के रहने वाले है। इनका परिवार ईट भठ्ठों में प्रवासी मजदूर का कार्य करते है. यंहा "आशा ट्रस्ट" के कानपुर केंद्र "अपना घर" में रहकर, शिक्षा ग्रहण कर रहे है। वर्तमान में ये कक्षा 8 th के छात्र है। राज को कवितायेँ लिखना अच्छा लगता है। हमें उम्मीद है कि आपको इनकी ये नवीन रचना पसंद आएगी।
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