गर्मी
चीखती है जिंदगी हमारी ,
गर्मियों की चलती हवाओं में /
चल रही है जिंदगी हमारी ,
सूखे एक बूँद पानी में/
नहीं चलती थी हवाएं ,
आज से पहले किसी ज़माने में/
क्यों किया था ऐसा काम,
जो सहना पड़ा 40 का तापमान /
ये गर्मी की हवाएं होठों की मुश्कान चुरा जाती है
हँसना चाहा तो पेट में रह जाती है /
नाम= अखिलेश कुमार
कक्षा = 6th
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