आओ बच्चो सीखे हम
हिंदी को दे नया जन्म
क ख ग सीखेगे हम
फिर हिंदी को हम करे नमन
ये तो हिंदी की पुकार है
जो जिन्दगी के उस पार है
फिर भी हम दिल से कहते है
ये तो वर्णों का हार है
वर्ण मिलने से ही बनते शब्द
जो बोलते है हमारे लब्ज
प्रन्जुल कुमार
कक्षा -6
अपनाघर ,कानपुर
1 टिप्पणी:
रूपचन्द्र शास्त्री जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद की आपने हम बच्चों के इस प्रयास को अपने ब्लाग पर चर्चा की ..
नितीश
संपादक
बाल सजग
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