आओ बच्चो तुम्हे दिखाऊ
कैसी है कैसी है ये दुनिया
इस दुनिया में सब बटे हुए है
कोई हिन्दू कोई मुश्लिम
लड़ते लड़ते ही मर जाते है
पहले थी कितनी सुन्दर यह दुनिया
पर अब न जाने कैसी हो गयी है यह दुनिया
धरती का तो था एक ही सहारा
जिसका नाम था ओजोन प्यारा
दुनिया ने इतना कूड़ा करकट मारा
बन गया डोजोंन बेचारा
कैसी है कैसी है ये दुनिया …………………
कैसी है कैसी है ये दुनिया ……………………
प्रान्जुल
अपना घर , कक्षा -4
4 टिप्पणियां:
thanks Yashwant Uash ji.
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति......
पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
ब्लॉग बुलेटिन के इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बाल दिवस विशेषांक बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं यानि बच्चे किसी से कम नहीं मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सुन्दर रचना,बेहतरीन, कभी इधर भी पधारें
सादर मदन
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