मंगलवार, 22 अक्तूबर 2013

कविता: मौसम

मौसम 

नीले - नीले  आसमान में ।
पानी है काले - काले बादल में।। 
बादल है या कोई छाया है। 
यह तो ईश्वर की माया है।। 
पानी कब ये बरसेगा ?
इन्सान कब तक तरसेगा  ? 
जब भी ये पानी बरसेगा।
धरती को पहले सीचेंगा ।।
हम खूब नहायेंगे पानी में। 
कागज की नाव तैरायेंगे नाली में ।।
पानी में झम - झम कूदेंगे।  
 सबके संग हम भीगेंगे।।
पानी पाकर धरती में होगी हरियाली।  
घर घर में छाएगी फिर खुशहाली।। 
 कवि :  नितीश कुमार 
अपना घर, कक्षा: 3rd 

1 टिप्पणी:

सुधाकल्प ने कहा…

बहुत अच्छी कविता है ।