बिल्ली
बिल्ली आयी मेरे घर में ,
खड़ बड़ बहुत मचाती हैं ....
दूध पी कर जाती हैं ,
हमको बहुत सताती हैं....
चूहे को मार गिरती हैं ,
बर्तन बहुत गिरती हैं ....
बिल्ली आयी बिल्ली आयी,
दिल्ली में भाई बिल्ली आयी....
लाल किले पर चढ़ती हैं ,
ऊपर से गिर - गिर जाती हैं.....
फिर बाजार को जाती हैं ,
फिर मिठाई वह खाती हैं ......
अपने घर को जाती हैं ,
अपना नाम नहीं बताती हैं.....
लेखक -अजय कुमार
कक्षा -५ अपना घर कानपुर
4 टिप्पणियां:
वाह अजय तुम्हारी बिल्ली तो बहुत अच्छी है थोड़ी शैतान तो है ....बहुत अच्छी कविता है
wah ajay kumar kavita achhi toh hai par bahut bacho wali hai...thori badho wali hoti toh theek rehta..!!! baat ko samajhna hain.?!!
wah ajay kumar kavita achhi toh hai par bahut bacho wali hai...thori badho wali hoti toh theek rehta..!!! baat ko samajhna hain.?!!
wah ajay kumar kavita achhi toh hai par bahut bacho wali hai...thori badho wali hoti toh theek rehta..!!! baat ko samajhna hain.?!!
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