कुत्ता राजा
कुत्ता राजा आया था ।
पुस्तक साथ में लाया था ॥
बिल्ली रानी अध्यापक थी ।
साथ में खड़िया लाई थी ॥
कुत्ते ने बिल्ली से पूछा ।
कहाँ लगाती हो तुम कक्षा ॥
मैं भी पढ़ने आउगा ।
साथ में पुस्तक लाउगा ॥
पढ़ना- लिखना सीख जाउगा ।
क ख ग का गुण गाउगा ॥
बिल्ली बोली कुत्ता राजा ।
तुम न बजाओ घर में बाजा ॥
पढ़ने में लगाओ मन ।
साफ़- सुथरा रखो अपना तन ॥
तुम पढ़ -लिख जाओगे ।
देश का नाम कराओगे ॥
लेखक -मुकेश कुमार
कक्षा -८
अपना घर
3 टिप्पणियां:
अच्छी कविता लिखी है मुकेश ने. बधाई.
आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बढ़िया रचना!
बेहद ख़ूबसूरत कविता!
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ओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती, कोहरे में भोर हुई!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", मिलत, खिलत, लजियात ... ... .
संपादक : सरस पायस
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