शुक्रवार, 18 जुलाई 2025

कविता : " आंधी के अवतार में "

"आंधी के अवतार में "
कभी धीमी - धीमी रफ़्तार में ,
तो कभी आंधी के अवतार में ,
अरे! साहिल क्या रंग - रूप है तेरा ,
कभी शीतल मधुर लय - ताल में,
 तो कभी गर्मी लू के भेश में,
अरे! पवन तू कैसा परिंदा है, 
कभी पूर्व से,
तो कभी पक्षिम से, 
क्यों टपक पड़ता है बार - बार, 
चलो माना तू है ही ऐसा, 
फिर भी सुनते जाना रे,
मेहमान तू जैसा भी हो,
पर तिथि  के हिसाब  से आना रे। 

 कवी : पिंटू कुमार, कक्षा : 10th,

अपना घर 

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